क्या आप जानते हैं मुद्रास्फीति क्या है (Inflation kya hai) – (मुद्रास्फीति/महंगाई) की गणना कैसे की जाती है?
किसी भी देश की सरकार के लिये देश में बड़ रही महंगाई पर नियत्रण करना सबसे जरुरी और चुनौतीपूर्ण कार्य होता है! आम भाषा में हम मुद्रास्फीति (Inflation) को महंगाई कहते हैं!
पहले के समय की तुलना में आज सामान्य कीमत स्तर बढ़ता ही जा रहा है यानी Inflation लगातार बढ़ रहा है! तो चलिये जानते है Mudra Sfiti Kya Hai – Inflation in Hindi.
अधिकतर लोग ये समझते हैं कि हमारे देश में महंगाई में वृद्धि हो रही है किन्तु यह क्यों हो रही है! इस Inflation से सबसे ज्यादा प्रभाव किस पर पढता है यह जानने की कोशिश बहुत कम ही लोग करते हैं!
अगर आप भी नहीं जानते हैं ये Inflation क्या होता है तो आप आज बिलकुल सही पोस्ट को पढ़ रहे हैं!


तो आज के इस पोस्ट में हम जानेगे Mudra sfiti kya hai इसका हिंदी में क्या मतलब होता है Inflation ka Hindi Meaning, मुद्रास्फीति के कारण (Mudra Sfiti ke karan – Types of Inflation in Hindi) क्या है!
मुद्रास्फीति की गणना कैसे की जाती है? तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं –
विषय - सूची
इन्फ्लेशन का हिंदी मीनिंग – Inflation in Hindi
Inflation in Hindi: हिंदी में Inflation का Meaning मुद्रास्फीति होता है! स्फीति का मतलब है वृद्धि होना है यानि जब मुद्रा में वृद्धि जो जाती है! तो मूल्य में गिरावट आ जाती है! अक्सर इसे महंगाई बढ़ना भी कहते हैं!
मुद्रास्फीति क्या है – Inflation kya hai
Inflation kya hai: किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में मूल्य स्तरों में या वस्तुओं की कीमतों में लगातार इजाफा हो और मुद्रा का मूल्य कम हो तो उसे हम Inflation (मुद्रास्फीति) कहते हैं!
इसका मतलब अगर सामान्य वस्तुओं और सेवाओं में वृद्धि हो रही है तो उसका सीधा संबंध महंगाई से होता है!
इसलिए साधारण शब्दों में, कीमत और सेवा में वृद्धि, मुद्रा के विस्तार में वृद्धि और फिर मुद्रा का मूल्य कम हो जाना (मुद्रास्फीति /महंगाई) Inflation कहलाता है!
उदाहरण के लिये, जिस वस्तु को आप 20 रूपये में खरीद लेते थे! उसके लिए आपको आज 50 रूपये खर्च करने पड़ेंगे! आपके हाथ में जो पैसा था उसका मूल्य घट गया!
मुद्रास्फीति = महंगाई
आइये इसे एक और उदाहरण से समझते हैं, 1970 में पेट्रोल की कीमत 20 रूपये प्रति लीटर थी! दूध की कीमत 5 रूपये प्रति लीटर थी किन्तु आज के समय में पेट्रोल 80 रुपए प्रति लीटर है और दूध की कीमत 50 रूपये प्रति लीटर है!
तो यहां पर हम कह सकते हैं देश में Inflation Rate (मुद्रास्फीति दर) बढ़ रहा है!
बाजार में किसी एक वस्तु की कीमत में लगातार इजाफा हो तो उसे Inflation नहीं कहा जाता है! आईफोन के दाम हमेशा अधिक होते हैं तो हम यह नहीं कह सकते कि महंगाई बढ़ रही है!
इसके लिए हमें Inflation की परिभाषा को समझना होगा जिसमें मूल्य स्तरों की बात कही गई है!
मुद्रास्फीति कितने प्रकार की होती है – Types of Inflation in Hindi
मुख्यतः मुद्रास्फीति 6 Types की होती है –
- मांग प्रेरित मुद्रास्फीति (Demand Pull Inflation)
- लागत प्रेरित मुद्रास्फीति (Cost Push Inflation)
- रेंगती हुई मुद्रास्फीति (Creeping or Moderate Inflation)
- चलती हुई मुद्रास्फीति (Walking of Trolling Inflation)
- भागती हुई मुद्रास्फीति (Runaway Inflation)
- कूदती हुई मुद्रास्फीति (Galloping/Over Inflation
1. मांग प्रेरित मुद्रास्फीति (Demand Pull Inflation)
जब बाजार में वस्तुओं और सेवाओं की कुल मांग की दर, आपूर्ति दर की तुलना में बढ़ती जाए तो उसे मांग प्रेरित मुद्रास्फीति कहा जाता है!
अब जैसे कोरोना के शुरूआती समय में सैनिटाइजर बेचने वालों को मालूम था, कितनी मांग होती है और कितनी आपूर्ति है!
अब जैसे ही सैनिटाइजर की मांग बढ़ी और आपूर्ति में कमी आ गयी तो वह महंगा हो गया! यही मांग प्रेरित मुद्रास्फीति होता है!
High Demand – Low Supply – Price rise – Decrease Power of Money = Inflation
2. लागत प्रेरित मुद्रास्फीति (Cost Push Inflation)
जब वस्तुओं की लागत में वृद्धि होती है तो कीमतों में भी वृद्धि होने लगती है! इसी को लागत प्रेरित मुद्रास्फीति कहते हैं! मजदूरी और खर्चे तमाम ऐसे चीज बढ़ेंगे तो यह भी Inflation के अंदर ही आएगा!
Cost Increase – Low Production – Low Supply – High Demand – Price Rise – Decrease Power of Money = Inflation
3. रेंगती हुई मुद्रास्फीति (Creeping or Moderate Inflation)
किसी भी देश की मुद्रास्फीति की दर जब 3 % तक हो तो, उसे रेंगती हुई मुद्रास्फीति कहते हैं! यानी यह Inflation ठीक ठाक है ना ही महंगाई ज्यादा है सामान्य स्तर पर है!
यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद मानी जाती है क्योंकि इससे अर्थव्यवस्था सामान्य रहती है!
4. चलती हुई मुद्रास्फीति (Walking of Trolling Inflation)
किसी भी देश की मुद्रास्फीति दर जब 3 % से अधिकतम 10 % के मध्य में रहे तो उसे चलती हुई मुद्रास्फीति कहते हैं!
यह मुद्रास्फीति विकासशील देशों के लिए तो सामान्य है! लेकिन यही मुद्रास्फीति दर अधिक समय तक रही तो देश की सरकार पर दबाव बढ़ने लगता है! यह दर एक तरह का Inflation (महंगाई) का संकेत है!
5. भागती हुई मुद्रास्फीति (Runaway Inflation)
जब मुद्रास्फीति दर 10 % से अधिकतम 30 % तक रहे तो उसे भागती हुई मुद्रास्फीति कहते हैं! इस स्तर पर महंगाई की दर नियंत्रण से बाहर जा रही है! इसलिए यह अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर संकेत नहीं होता है!
इसी स्तर से मौद्रिक नीतियों पर काम होना शुरू हो जाता है क्यूंकि महंगाई की दर अधिक हो गयी है!
6. कूदती हुई मुद्रास्फीति (Galloping/Over Inflation)
जब मुद्रास्फीति की दर पूर्णतः काबू से बाहर हो जाये! ना ही सरकार के नियंत्रण में हो और ना ही आरबीआई के, तो इसे कूदती हुई मुद्रास्फीति कहा जाता है! यह स्तर काफी चिंताजनक वाला हो जाता है!
इस स्तर पर 20 रूपये की पानी का बोतल सीधे 60 में बिकना शुरू हो जायेगा यानी मूल्य वृद्धि गुना में हो रही है! विश्व में ऐसा स्तर 1923 में जर्मनी में देखने को मिला था!
यहां Inflation Rate कई गुना बढ़ गयी थी! जबकि हंगरी में तो Over Inflation Rate 1 साल में 2000 % तक जा चुकी थी! कई देशों में ऐसा भी देखने को मिलता है!
मुद्रास्फीति की गणना कैसे की जाती है – How Inflation is Calculated in Hindi
Inflation की गणना का मापन सामान्य मूल्य सूचकांक के द्वारा किया जाता है! मूल्य सूचकांक वस्तुओं और सेवाओं के औसत मूल्यों में होने वाले बदलावों की माप करता है!
इस मापन के लिए मुख्यतः दो तरह के सूचकांक का प्रयोग किया जाता है!
- WPI (Whole Sale Price Index) थोक मूल्य सूचकांक
- CPI (Consumer Price Index) उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
1. WPI (Whole Sale Price Index) थोक मूल्य सूचकांक
थोक मूल्य सूचकांक (WPI) में वस्तुओं के मूल्यों में होने वाले बदलाव को थोक बाजार के स्तर पर आंकलन किया जाता है! इन आंकड़ों को महीने में एक बार वाणिज्य मंत्रालय जारी करता है!
2. CPI (Consumer Price Index) उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में वस्तुओं के मूल्यों में होने वाले बदलाव को खुदरा बाजारों में मापा जाता है! इस स्तर पर मूल्यों में बहुत अधिक असमानता देखी जाती है!
जैसे एक पानी की बोतल आज 30 रूपये की है अब बताये ये सस्ती है कि महंगी! यह कैसे पता चलेगा! पिछले साल यह 20 की थी अब 30 की हो गयी तो महंगी हो गयी!
तो Inflation को मापने के लिए वर्तमान मुद्रास्फीति दर और पुराने वित्तीय वर्षों की दरों में आकंलन किया जाता है!
मुद्रास्फीति के कारण – Reasons for Inflation in Hindi
जिस तरह किसी एक वस्तु के दाम बढ़ने पर हम यह नहीं कह सकते कि Inflation ( महंगाई ) बढ़ गयी है ऐसा नहीं होता है! उसी तरह मुद्रास्फीति बढ़ने के भी कई कारण है –
मुद्रास्फीति के दो मुख्य कारण (Reasons for Inflation) माने जाते हैं पहला मांग और दूसरा मूल्य वृद्धि!
- किसी भी वस्तु की मांग बहुत अधिक हो और उसकी आपूर्ति ना हो पाए, तो यहां पर मांग मुद्रास्फीति का मुख्य कारण बन जाता है!
- मुद्रा के अधिक प्रवाह से मांग की दर में वृद्धि देखि जाती है! यह खरीद की क्षमता को बड़ा देता है जिससे वस्तओं और सेवाओं की मांग भी बढ़ती जाती है!
- अधिक उत्पादन होने पर अधिक कमाई करने वाले लोग जमाखोरी करते हैं! जिससे आपूर्ति में कमी आ जाती है और स्वतः मूल्य वृद्धि बढ़ जाती है!
- उत्पादन में अप्रत्यक्ष करों का जुड़ जाना जिससे सामग्री के मूल्य में वृद्धि होती जाती है!
- सरकार द्वारा उत्पादों के मूल्यों को चिन्हित न करना जैसे एमएसपी और पेट्रोल डीजल के दामों में उतार चढ़ाव! ऐसे वस्तुओं में दिन प्रतिदिन वृद्धि दर अधिक होता है!
- बाजारों में वस्तुओं की सप्लाई पर सख्त नियम और सीमा तय न किया जाना जिससे जरुरी वस्तुओं का भंडारण होता है जो गैर कानूनन है!
मुद्रास्फीति के क्या प्रभाव होते हैं – Effects of Inflation in Hindi
- Inflation बढ़ने से उस देश के मूल्य में गिरावट आती है यानि उतने ही मूल्य में पहले के बजाय अब कम वस्तुएं खरीदी जा सकती है!
- ऋण लेने वालों को मुद्रास्फीति में वृद्धि से लाभ होता है! क्योंकि मुद्रा के मूल्य में गिरावट होने से पहले के मुकाबले अब अधिक मूल्य वाली मुद्रा के मुकाबले कम मुद्रा वाली वस्तुओं का लाभ मिलेगा!
- ऋण देने पर Inflation का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है! यह इसलिए कि उसके द्वारा ऋण दी गयी मुद्रा के मुकाबले वर्तमान में उसे कम मूल्य वाली मुद्रा मिलेगी!
- Inflation बढ़ने से Loan लेना सस्ता हो जाता है और ऋण लेने वालों की संख्या में इजाफा होता है! और ऋण देने का दर बढ़ जाता है!
- बढ़ती हुई मुद्रास्फीति निवेश की मात्रा को बढ़ाती है!
- मुद्रास्फीति अधिक हो गयी तो Import में कमी आती है! क्योंकि मुद्रा का मूल्य गिरने से पहले के बजाय अब अधिक कीमत देनी पड़ेगी!
मुद्रास्फीति को कैसे कम करें – How to Reduce Inflation in Hindi
Reduce Inflation in Hindi: Inflation (महंगाई) को कम करने के लिए मौद्रिक नीति और राजकोषीय नीतियां अपनाई जाती है!
इस नीति में कुछ ऐसे प्रयोग किये जाते हैं, जिन्हें अक्सर उपयोग में लाया जाता है! और इसे सरकार और आरबीआई मिलकर प्रयोग में लाती है जैसे –
- मुद्रा की मात्रा में नियंत्रण
- केंद्रीय बैंकों की व्यवस्थाओं पर नियंत्रण
- विमुद्रीकरण (Demonetization)
- सार्वजनिक व्यय में कमी और ऋणों में वृद्धि
- वित्तीय व्यवस्थाओं में घाटे में कमी
- उत्पादन में वृद्धि (Increase in Production)
- बचत को प्रोत्साहन (Savings Incentive)
- सरकार द्वारा कीमतों पर रोक और सरकारी कीमत तय करना!
2020 में भारत में मुद्रास्फीति दर क्या है – Inflation Rate in India 2020
Economy Agency Focus Economics के अनुसार 2020 में महंगाई दर (Inflation Rate in India 2020) औसतन 5.1% है! फोकस इकोनॉमिक्स का अनुमान है कि वित्तीय वर्ष 2020 – 2021 के खत्म होने तक यह 4.1% होगी!
भारत में ऐतिहासिक मुद्रास्फीति दर – Historical Inflation Rate in India
आइये अब जान लेते हैं पिछले वर्षों में कुछ ऐतिहासिक मुद्रास्फीति दर क्या रही!
Year | Inflation Rate | Yearly Changes |
---|---|---|
2019 | 7.66 | 2.80 |
2018 | 4.56% | 2.37% |
2017 | 2.49% | -2.45% |
2016 | 4.94% | -0.93% |
2015 | 5.87% | 0.48% |
2014 | 6.35% | -4.55% |
2013 | 10.90% | 1.60% |
2012 | 9.31% | 0.45% |
2011 | 8.86% | -3.12% |
2010 | 11.99% | -3.13% |
मुद्रास्फीति निवेशकों को इस बात का भी एहसास कराती है कि उनके वर्तमान जीवन स्तर को कायम रखने के लिए उनके निवेशों का प्रतिफल दर क्या होना चाहिए|
Inflation (मुद्रास्फीति) यानि महंगाई एक मध्यम स्तर पर हो तो इसे सही माना जाता है! किन्तु यह बहुत अधिक स्तर पर चले जाये तो चिंता का विषय बन जाती है!
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निष्कर्ष – Conclusion
दोस्तों आज के इस पोस्ट में हमने Inflation Kya Hai (महंगाई/मुद्रास्फीति क्या होता है) Mudra Sfiti Kya Hai, मुद्रास्फीति की गणना कैसे की जाती है!
महंगाई/मुद्रास्फीति कितने प्रकार की होती है (Types of Inflation in Hindi) Inflation का Hindi Meaning क्या होता है और किन कारणों से Inflation Rate (मुद्रास्फीति) में बढ़ोतरी होती है! के बारे में जाना!
साथ में हमने भारत में Inflation का क्या प्रभाव पड़ता है (India Me Inflation ka Effect) जाना. हमने पिछले कुछ वर्षों के मुद्रास्फीति दर को भी आपके सामने रखा! और सबसे महत्वपूर्ण बातें भी जानी की कैसे मुद्रास्फीति की दर को कम किया जा सकता है!
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