FDI Full Form: FDI क्या है? | FDI Policy Kya Hai- पूरी जानकारी

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Hi नमस्कार दोस्तों, क्या आप जानते है एफडीआई क्या है? (FDI Kya Hai) और एफडीआई का फुल फॉर्म क्या होता है? (Full Form of FDI) क्या विदेशी कम्पनिया भारत देश में निवेश कर सकती है? एफडीआई यानी की फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट के कौन से सेक्टर है! जिनमे विदेशी कम्पनिया पूरा 100 % निवेश कर सकती है!

आज के इस लेख में हम FDI Full Form in Hindi और साथ ही FDI Policy क्या होता है? पुरे विस्तार से जानने वाले है! हमारे देश में अनेक विदेशी कम्पनियां आकर कई सेक्टर में निवेश (Investment) करती है!

कुछ सेक्टर में इन विदेशी कंपनियों के लिए निवेश की सीमा 100 फीसदी खुली है और कुछ सेक्टर्स में सीमाएं अलग – अलग निर्धारित है! अब आप सोच रहे होंगे, हमसे मुनाफा भला ये बाहरी कंपनियां क्यों कमाती है!

दरअसल FDI Policy विदेश निति के अंतर्गत कार्य करती है! अक्सर ऐसा माना जाता है की जिस देश में एफडीआई में निवेश अधिक होता है! उस देश में Development यानी की विकास अधिक और जल्दी होता है! 

तो चलिये आगे बढ़ते है और विस्तार से जानते है की आखिर FDI Kya Hai और FDI Policy Kya Hai.

[ FDI Meaning in Hindi – FDI Full Form ]

पिछले आर्टिकल में हमने जीडीपी क्या है समझा! इस आर्टिकल में आगे हम Types of FDI Policy in Hindi, 2020 में Indian FDI Policy में क्या बदलाव हुए के बारे में भी जानेंगे! तो चलिए आगे बढ़ते हैं!

एफडीआई फुल फॉर्म – FDI Full Form in Hindi

FDI Full Form: एफडीआई का पूरा नाम ‘Foreign Direct Investment‘ होता है! किसी भी निवेश को एफडीआई में शामिल करने के लिए विदेशी निवेशक को कंपनी के करीब 10 प्रतिशत Share खरीदने होते हैं! 

FDI Meaning in Hindi: एफडीआई का Hindi में Meaning प्रत्यक्ष विदेशी निवेश होता है! एफडीआई खरीदने वाला निवेशक अपने Infrastructure बढ़ा सकता है! कारखाने इत्यादि का निर्माण दूसरे देश में कर सकता है! 

एफडीआई क्या है – FDI Kya Hai

FDI Kya Hai: एफडीआई यानी की फॉरेन डाइरेक्ट इन्वेस्टमेंट (Foreign Direct Investment) एक अलग तरह का निवेश (Investment) होता है!

जिसमे कोई भी विदेशी कंपनी किसी अन्य देश की व्यवसायिक इकाई मतलब की उस देश के Business sector में नियंत्रित स्वामित्व के रूप अपना पैसा निवेश करती है!

उदाहरण के तौर पर हाल ही में एक अमरेकिन Company वॉलमार्ट ने भारतीय Company फ्लिपकार्ट पर बहुत ज्यादा पैसा Investment (निवेश) किया है!

भारत में सबसे अधिक एफडीआई में निवेश आईटी सेक्टर में आया है! करीब 48 प्रतिशत एफडीआई निवेश सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के क्षेत्र में आया है! डिजिटल के साथ साथ सभी लोग स्मार्ट वर्क करना चाहते हैं! 

इसलिए आधुनिक तकनीकों का यूज अधिक होने लगा है जिससे विदेशी कंपनियां भारत में लगातार अपने काम को आगे बढ़ा रही है! 

भारत में एफडीआई को स्वचलित और सरकारी तौर से अनुमति दी गयी है! 

एफडीआई के प्रकार – FDI Types in Hindi

भारत में दो प्रकार का फॉरेन डाइरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI Investment) होता है!

  1. GFI (Greenfield Investment)
  2. FPI (Foreign Portfolio Investment)

1. GFI (Greenfield Investment)

ग्रीनफ़ील्ड निवेश (GFI) के अंतर्गत एक कंपनी द्वारा अन्य देशो में अपनी सहायक कंपनियों का संचालन का प्रबंधन किया जाता है! GFI पूर्ण रूप से विदेशी निवेश होता है! मैकडॉनल्ड्स, स्टारबक्स और कोका कोला जैसे टॉप अमेरिकन कम्पनिया ग्रीनफ़ील्ड निवेश (GFI) के मुख्य उदाहरण है!

2. FPI (Foreign Portfolio Investment)

FPI Full Form: एफपीआई का पूरा नाम Foreign Portfolio Investment होता है! जिसका हिंदी अर्थ विदेशी पोर्टफोलियो निवेश होता है! इसके अंतर्गत दूसरे देश की कम्पनी के शेयर खरीदे जाते हैं!

या कोई विदेशी किसी अन्य देश के बैंको में पैसा जमा करते है! यह निवेश प्रत्यक्ष रूप से investor द्वारा किये जाते है!

भारत को 2019 में करीब 51 अरब डॉलर का विदेशी निवेश प्राप्त हुआ! सयुंक्त राष्ट्र के व्यापार और विकास सम्मलेन ने Press जारी करते हुए कहा कि 2019 वित्तीय वर्ष के अंतिम महीनो तक भारत सबसे ज्यादा एफआईआई निवेश पाने वाले देशों में 9 वें नंबर पर है! 

भारत में एफडीआई की शुरुआत कब हुई (FDI Ki Shuruaat kab hui)

भारत में एफडीआई की शुरुआत सनं 1991 में हुई! उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव और वित्त मंत्री मनमोहन सिंह की अगुआई में यह अहम फैसला लिया गया और भारत में एफडीआई को मंजूरी मिली! उस समय देश की अर्थव्यवस्था खराब होती जा रही थी!

उसके बाद कुछ विदेशी कंपनियों को देश में व्यापार करने और कुछ शर्तों के साथ Investment (निवेश) की छूट दी गयी!

एफडीआई नीति क्या है (FDI Policy kya hai)

कोई भी देश जब FDI ( विदेशी पोर्टफोलियो निवेश ) के अंतर्गत आता है तो निवेशक देश और विदेशी निवेश की मेजबानी कर रहे देश में Foreign Investment के लिए कुछ शर्तें रखी जाती है जिन्हें FDI Policy का रूप दिया जाता है!

दरअसल FDI Policy एक तरह से Written Agreements (लिखित करार) होते हैं जिन्हें दोनों देशों को मानना होता है! 

एफडीआई नीति के मानदंड क्या है (Norms of FDI Policy in Hindi)

एफडीआई को जारी करने के लिए कुछ मानदंड होते हैं जिन्हे जानना बहुत ही जरूरी है – 

  1. Foreign Company अपने पैसे का निवेश दूसरे देश में अपने Management Power को मजबूत करने में करती है! 
  2. FDI Investment लम्बे समय के लिए किया जाता है यहां पर Locking Period भी होता है!
  3. एफडीआई निवेश उधम एंव कारखानों पर ही लिया जा सकता है! निवेश के अंतर्गत उधम एंव कारखानों का विस्तार भी किया सकता है! 
  4. 100 प्रतिशत स्वामित्व के साथ कम्पनी अपनी एक नई सहायक कम्पनी विदेशों में स्थापित कर सकती है! 
  5. FDI Investment से पहले 10 प्रतिशत शेयर का अधिग्रहण करना आवश्यक है! 
  6. भारत जिन देशों से सीमाएं साझा करता है उन देशों या उनके किसी भी कम्पनी और व्यक्ति को भारत में निवेश करने से पहले भारत सरकार से इजाजत लेनी आवश्यक है!

भारत में 2020 में FDI Policy में बदलाव (FDI Policy in India 2020 in Hindi)

2020 में चीन के भारत में HDFC Bank में 1.01 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के बाद भारत ने इसी वर्ष एफडीआई कानून में संसोधन किया है! यह इसलिए भी किया गया है क्यूंकि Covid-19 के बाद छोटी और मध्यम कंपनियां बंद हो चुकी हैं!

ऐसे में किसी भी विदेशी कम्पनी की सेंधमारी से बचने के लिए ऐसा किया गया है! साधारण भाषा में कहे तो सरकार ने भारतीय कंपनियों के अवसरवादी अधिग्रहण को रोकने के लिए ये कदम उठाये हैं!  

आगे जान लेते हैं भारत सरकार ने FDI Policy in India 2020 में क्या संसोधन किये हैं – 

  • भारत में पडोसी देशों के FDI Investment में अब भारत सरकार की अनुमति आवश्यक होगी! यह कानून उन देशों पर लागू होगा जो भारत के साथ सीमाएं साझा करते हैं! 
  • जो देश चीन के साथ भी सीमाएं साझा करते हों उनके लिए भी FDI Investment में भारत सरकार की अनुमति लेनी आवश्यक होगी!
  • भारत सरकार की कैबिनेट द्वारा एफडीआई निवेश की एक सीमा तय की जाएगी! उसी निवेश सीमा के अंतर्गत फ़ौरन कम्पनी भारत में निवेश कर सकती है! 
  • जिस सेक्टर में विदेश से राशि आनी है पहले उस सेक्टर से जुड़े मंत्रालय को सूचित किया जाएगा और सेक्टर से जुड़े मंत्रालय की मंजूरी लेनी होगी! 

देश में एफडीआई कैसे आता है (Desh me FDI Kaise ata hai)

किसी भी देश में FDI (Foreign Direct Investment) दो तरह से आता है!

  1. पहला सरकारी रूट – Government Approval 
  2. दूसरा स्वचालित रूट – Automatic Approval 

1. सरकारी रूट (Government Approval )

Government Approval से जो भी FDI Investment के लिए देश में आते हैं उन्हें Government Approval लेना होता है! भारत के पड़ोसी देश जैसे बांग्लादेश की कम्पनी भारत में निवेश करने आती है तो वो सरकारी रूट के माध्यम से आती हैं! 

2. स्वचालित रूट (Automatic Approval)

Automatic Approval से एफडीआई निवेश के लिए देश में तब आते हैं जब सरकार ने ऐसी छूट दे रखी हो!

जैसे एफडीआई के नए संसोधन से पहले सरकार ने स्वचालित रूट से आने की छूट दे रखी थी! इसलिए चीन भारत में आकर निवेश करना शुरू कर देता था! 

इसके अंतर्गत RBI (Reserve Bank of India) को सूचित कर दिया जाता था! उसके तुरंत बाद ही बाहरी देश एफडीआई में Investment शुरू कर देते थे!

किन्तु अब नए संसोधन में जितने भी भारत के पड़ोसी देश हैं! अगर वो भारत और चीन के साथ सीमा साझा करते हैं तो उन सबको सरकारी रूट से ही आना होगा! 

भारत की अन्य देशों में FDI कितनी है?

2019-20 में भारत को FDI (Foreign Direct Investment) से करीब 51 अरब डॉलर का निवेश प्राप्त हुआ! यह अब तक भारत का सबसे अधिक FDI Foreign Direct Investment है! 

अप्रैल से लेकर सितंबर तक भारत ने यूएसए से करीब 7.5 US $ Billion और मॉरीशस से 2 US $ Billion का निवेश अर्जित किया!

सिंगापुर से भारत को 2019 – 20 में 14.67 अरब डॉलर का निवेश एफडीआई (FDI) के अंतर्गत प्राप्त हुआ है! 

एफडीआई के मामले में भारत ने 21-22 में नए रिकॉर्ड बनाये हैं! वित्त वर्ष 21-22 में 83.57 अमेरिकी डॉलर तक बहरत की सबसे अधिक एफडीआई दर्ज की गयी! 

भारत विनिर्माण क्षेत्र में विदेशी निवेश के लिए एक पसंदीदा देश के रूप में तेजी से आगे बढ़ रहा है! विनिर्माण क्षेत्रों में FDI इक्विटी 2020-21 (12.09 अरब डॉलर) की तुलना में 2021-22 में (21.34 अरब डॉलर) 76 प्रतिशत बढ़ी है!  

भारत में निवेश वाले टॉप 10 देश (Top 10 FDI Countries in India in Hindi)

भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और जनसख्या के आधार पर दुनिया के कई देश भारत में FDI (Foreign Direct Investment) निवेश को अंतरास्ट्रीय निवेश के लिए एक अच्छा अवसर मानते हैं! 

आइये जान लेते हैं 2020 में ऐसे कौन से Top-10 देश हैं जो भारत में मुख्य निवेशक माने जाते हैं!

S No. Country Investment (Billion – Million U.S$)
1.सिंगापुर –14.67 US $ Billion
2.मॉरीशस8.30 US $ Billion
3.नीदरलैंड6.5 US $ Billion
4.जापान3.22 US $ Billion
5.अमेरिका4.22 US $ Billion
6.कैमन द्वीपसमूह3.7 Billion US $ Billion
7.फ़्रांस1.89 US $ Billion
8.जर्मनी443 Million U.S$
9.साउथ कोरिया 777 Million U.S$
10.इज़राइल1.59  Billion US $ Billion
Top 10 FDI Countries in India

एफडीआई पॉलिसी के लाभ क्या हैं (Benefits of FDI Policy in Hindi)

आज के समय में कोई कंपनी या व्यक्ति किसी प्रकार का निवेश करे तो उसमें होने वाले फायदे और नुकसान को जोखिम की श्रेणी में गिना जाता है!

जब राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय निवेश की बात आती है तो निवेश विदेश निति के अंतर्गत आ जाता है! 

हमारे देश को FDI (Foreign Direct Investment) Policy के क्या फायदे हैं, अब आगे जान लेते हैं

  • Foreign Investment से देश की पूंजी में वृद्धि और राजस्व कर में इजाफा देखने को मिलता है! 
  • देश की अंतरास्ट्रीय व्यापार में वृद्धि! 
  • अधिक निवेश से आपूर्ति श्रखला में सुधार व विश्व स्तर पर भण्डारण की कमी से बर्बाद होने वाले अनाज की बचत! 
  • जीडीपी विकास दर में बढ़ोतरी और विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा! 
  • अधिक गुणवत्ता वाले उत्पादों के लिए स्थानीय लोगों और उद्योगों के विकास में FDI Policy से मदद मिलती है! 
  • बड़ी खुदरा कंपनियों से खाद्य उत्पाद उपभोक्ता द्वारा खरीदने से किसानों को लाभ और खाद्य महंगाई दर में कमी!
  • अधिक रोजगार के अवसर और एफडीआई नौकरियां उपलब्ध होती हैं! 

एफडीआई के नुकसान क्या है (Disadvantages of FDI)

Disadvantages of FDI: एफडीआई पॉलिसी के अंतर्गत एक बात यह ख़ास मानी जाती है कि इसके फायदे और नुकसान पर सरकार पूर्णतः कार्य कर सकती है! यानि सरकार फायदे को बढ़ा सकती है और FDI Ke Nuksan को कम भी कर सकती है! 

तो अब हम जान लेते हैं एफडीआई के नुकसान (Disadvantages of FDI) क्या है?

  • देश में FDI Investment के लिए बेहतर सुविधाओं और महत्वपूर्ण साधनों की कमी होना! जिससे देश में FDI Investment को आकर्षित करने में दिक्क्तें होती है और देश की इकोनॉमी पर असर पड़ता है!
  • Foreign Investment से स्वदेशी निवेश को नुकसान होता है जिससे विदेशी निवेश का स्वदेशी बाजारों पर नियंत्रण बढ़ता जाता है!
  • स्वदेशी उत्पादों के ब्रांड और सरंक्षण पर एफडीआई कंपनियों का अधिग्रहण होने का खतरा बना रहता है!
  • देशी बाजारों, छोटे एंव मझले उद्योगों को नुकसान होने का डर बना रहता है क्यूंकि विदेशी कंपनियां Automatic System के साथ काम करती है और देशी बाजारों में मशीनों का बहुत कम उपयोग होता है! 
  • एफडीआई कंपनियों में उत्पादन का दर अधिक रहता है जिससे बाजार में उत्पाद की सप्लाई अधिक होगी तो सामान सस्ता होगा उसी उत्पाद का घरेलू उत्पादन करने वाले उद्योगों को नुकसान होगा! 

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निष्कर्ष – Conclusion

आज की पोस्ट में हमने  FDI Full Form, FDI क्या है? (FDI Kya Hai) एफडीआई पॉलिसी क्या है? (What is FDI Policy) के बारे में जानकारी दी! 

इसके साथ ही हमने एफडीआई कितने प्रकार की होती है? (FDI Types in Hindi) और 2020 में FDI में क्या बदलाव किये गए? के बारे में विस्तार से जाना! 

पोस्ट में हमने भारत में निवेश वाले टॉप 10 देश और निवेश की सूचि भी (Top 10 FDI Countries in India) आपके सामने रखी!

आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट करके बताये! और FDI Policy पोस्ट से जुड़ा आपका कोई भी सुझाव हो तो आप निचे दिए गए Comment Box में जाकर जरूर बताएं! 

पूरा पोस्ट पढ़ने हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद! 

2 thoughts on “FDI Full Form: FDI क्या है? | FDI Policy Kya Hai- पूरी जानकारी”

  1. This is undoubtedly the best thing that I’ve come across today in the internet. It was a long time that I have been thinking on this topic but I couldn’t satiate my quench for knowledge through any post that I read. However, today that I came across your article, I seem to have learnt a lot and I have also gained enough knowledge on this topic. Thanks once again.

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