क्या आप पेगासस हैकिंग टेक्नोलॉजी क्या है? और Pegasus Zero Click Attack क्या है? के बारे में जानते है! भारत की संसद में मानसून स्तर शुरू होते ही Pegasus हैकिंग विवाद जोर पकड़ने लगा! आज के इस हिंदी आर्टिकल में हम पेगासस हैकिंग क्या है? (Pegasus Spyware Kya Hai) के बारे में विस्तार से जानने वाले है!
आखिर लोग जानना चाहते हैं कि इस Hacking Technology की अचानक चर्चा इतनी क्यों हो रही है! आखिर क्यों भारत समेत पूरी दुनिया में इस तरह लोगों के मोबाईल फोन क्यों हैक किये जा रहे हैं? तो हमने सोचा क्यों न Pegasus Hacking Software के बारे में आर्टिकल लिखा जाये और इसके बारे में आपको जानकारी दी जाये!
तो बिना किसी विलम्ब के इस लेख को शुरू करते है और Pegasus Zero Click Attack क्या है? और पेगासस हैकिंग टेक्नोलॉजी क्या है? यह किस देश की टेक्नोलॉजी है? और भारत में आज अचानक इसकी चर्चा क्यों होने लगी है? के बारे में जानते हैं!
पेगासस हैकिंग टेक्नोलॉजी क्या है ? – Pegasus Zero Click Attack क्या है?
Pegasus एक स्पाइवेयर है जो किसी के मोबाईल में बिना परमिशन के इंस्टॉल किया जा सकता है! यह ऐसा सॉफ्टवेयर है जिसके द्वारा मोबाईल के फोन कॉल, व्हाट्सप्प कॉल, व्हाट्सप्प मैसेज की जासूसी की जा सकती है!
इसके अंतर्गत उपभोक्ता को एक लिंक भेजा जाता है जिसे उपभोक्ता द्वारा बिना इनस्टॉल किये ही यह इनस्टॉल हो जाता है! इसलिए इसे किसी की व्यक्तिगत जानकारी के लिए खतरनाक माना जा रहा है!
Pegasus सॉफ्टवेयर को NSO Company के द्वारा बनाया गया है! NSO Company को इजराइल के रिटायर्ड फौजी, ख़ुफ़िया विभाग के लोग और उनके टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के लोगों द्वारा चलाया जाता है!
NSO Company विश्व की जानी मानी कंपनी है जो सभी देशों के सरकारों को अपने द्वारा बनाये गए सॉफ्टवेयर को बेचती है!
एनएसओ कंपनी इस सॉफ्टवेयर को आतंकवाद व क्राइम को रोकने के लिए बनाती है! लेकिन दुनिया के न्यूज चैनलों और समाचार पत्रों का मानना है की कई देश ऐसे हैं जिन देशों में इस तरह के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल पत्रकारों, नेताओं, वकीलों की जासूसी करने में किया जा रहा है!
तो कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि यह सॉफ्टवेयर किसी भी देश के नागरिक की व्यक्तिगत जानकारी या फिर व्यक्तिगत सामग्री को नुकसान पहुंचाता है!
NSO Company किस देश की है?
NSO Company इजराइल की एक कंपनी है! इसका हेडक़्वार्टर के बारे में अभी तक किसी को कोई जानकारी नहीं है! ऐसा बताया जा रहा है की शुरू में जब इस Software को बनाया गया था! तब इसका हेडक़्वार्टर इजराइल में ही हुआ करता था लेकिन आज कहाँ हैं यह किसी को मालूम नहीं है!
Pegasus Software पहली बार कब विवादों में आया था?
भारत में फोन टेपिंग के कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं लेकिन 2018 में जब बड़ी मात्रा में नेताओं समेत कई लोगों के फोन टेपिंग के मामले सामने आये तो तब Pegasus सॉफ्टवेयर का भी जिक्र हुआ लेकिन तब अधिक लोगों को इसका मालूम नहीं था!
फोन टेपिंग के मामले बहुत वर्षों पहले से ही सामने आते रहे हैं जैसे 2006 में अमर सिंह का आईबी एजेंसी के लोगों पर फोन टेपिंग का आरोप, 2010 में तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी का फोन टेपिंग का संदेह, 2010 में शरद पवार, दिग्विजय सिंह, नितीश कुमार जैसे बड़े नेताओं ने फोन टेपिंग के आरोप लगाए!
पेगागस सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है ?
वैसे तो पेगागस सॉफ्टवेयर को इजराइल द्वारा सुरक्षा के लिहाज से बनाया गया है! लेकिन यह कैसे काम करता है और लोग इसे खरतनाक क्यों कह रहे हैं यह हम जान आगे लेते हैं!
इस सॉफ्टवेयर के द्वारा करप्ट मैसेज और करप्ट ईमेल को उपभोक्ता के डिवाइस में भेजकर डिवाइस को हैक किया जाता है! यह सारा हैकिंग सिस्टम जीरो क्लिक टेक्नोलॉजी पर आधारित है! अब आप सोच रहे होंगे जीरो क्लिक टेक्नोलॉजी क्या है?
पेगागस स्पाइवेयर जीरो क्लिक पर अटैक करता है यानि उपभोक्ता अपने डिवाइस में कोई भी एक्टिविटी ना करें तब भी यह डिवाइस को हैक कर सकता हैं! यूजर को अपने मोबाईल में कहीं भी कोई भी क्लिक करने की जरूरत ही नहीं होती है! यह स्पाइवेयर अपने आप ही इनस्टॉल हो जाता है!
कभी भी यूजर के मोबाईल में कोई कॉल आया यूजर ने सोचा अनजान नंबर है! और रिसीव नहीं किया तो ऐसे में आपका मोबाईल स्पाइवेयर से इंफेक्ट हो सकता है!
पेगागस स्पाइवेयर आपके कैमरे को कभी भी ऑन कर सकता है! माइक्रो फोन कभी भी ऑन हो सकता है! पेगागस स्पाइवेयर आपकी लोकेशन ऑफ होने के बावजूद भी आपकी लोकेशन का पता लगा सकता है!
पेगासस हैकिंग टेक्नोलॉजी की चर्चा अचानक क्यों हुई?
पेगागस स्पाइवेयर के चर्चा में आने का मुख्य कारण अंतरास्ट्रीय मिडिया है! रविवार को करीब 20 अंतरास्ट्रीय मिडिया कंपनियों ने पेगासस हैकिंग का मामला प्रकाशित किया! जिसमें यह भी बताया गया कि भारत में करीब 300 से अधिक लोगों की पेगागस सॉफ्टवेयर के जीरे फोन हैकिंग की गयी है जिनमें कई पत्रकार, नेता, मंत्री, वकील और अन्य विभागों से जुड़े लोग शामिल है!
भारत में यह खबर रविवार रात करीब 9 बजे बजे भारत की मिडिया तक पहुंच गयी! अंतरास्ट्रीय मिडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में यह फोन हैकिंग 2018 से लेकर 2019 के बीच की गयी! इनमें सभी पत्रकारों के व्हाट्सप्प कॉल, वीडियो कॉल और मैसेज़ को भी हैक करने की कोशिश की गयी!
अंतरास्ट्रीय मिडिया की रिपोर्ट आने के बाद भारत सरकार ने इन रिपोर्टों को ख़ारिज किया और कहा ऐसा कोई भी मामला नहीं है! और कहा गया कि यह भारत सरकार की छवि को खराब करने की कोशिश की जा रही है!
उसके बाद NSO Company द्वारा सफाई में कहा गया है, कि वह उनके सॉफ्टवेयर के खिलाफ चलाये जा रहे गलत खबरों के आधार में अंतरास्ट्रीय मिडिया के खिलाफ मानहानि का केस करेगी! एनएसओ कंपनी का कहना है की उनका मकसद किसी की जान बचाना है ना की किसी की जानकारियों को सार्वजनिक करना!
स्पाइवेयर से कैसे बचें?
- आप अपने मोबाईल या कंप्यूटर के ऑपरेटिंग सिस्टम को समय समय पर अपडेट करते रहें!
- आप अपने मोबाईल या फिर कंप्यूटर में अच्छे कंपनी के एंटी वायरस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करें! अगर पहले से इनस्टॉल हैं तो इसे समय समय पर उपडेट करते रहें! अगर आप Email या Internet Banking का इस्तेमाल करते हैं तो आपकी नेटबैंकिंग या ईमेल पासवर्ड मजबूत होना चाहिए!
- किसी भी अनजान ईमेल या मैसेज को देखते ही ओपन न करें! अगर आपको लगे कि वह ईमेल आपके काम का है तभी ओपन करें!
- किसी भी साइबर कैफे या फिर सार्वजनिक कम्प्यूटरों में अपनी ईमेल या इंटरनेट बैंकिंग का यूज बिलकुल न करें! किसी भी फ्री वाईफाई का उपयोग ना के बराबर करें!
- फिशिंग अटैक क्या है, फिशिंग अटैक से कैसे बचें?
- ब्राउज़र हिस्ट्री डिलीट कैसे करें?
- ब्लॉकचेन क्या है, कैसे काम करता है?
निष्कर्ष – Conclusion
तो इस आर्टिकल में हमने पेगासस हैकिंग टेक्नोलॉजी क्या है ? और Pegasus Zero Click Attack क्या है? NSO Company किस देश की है? पेगासस सॉफ्टवेयर पहली बार कब विवादों में आया? पेगासस स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है ? जाना!
और साथ में हमने जाना पूरी दुनिया समेत भारत में भी अचानक संसद में पेगासस को लेकर क्यों हो हल्ला हुआ और संसद का कामकाज बाधित रहा!
आपने देखा होगा संसद में मानसून सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नए केंद्रीय मंत्रियों का परिचय भी विपक्ष ने नहीं कराने दिया! क्योंकि खबर ही ऐसी बताई जा रही है कि कई बड़े नेताओं की इस स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर द्वारा जासूसी की जा रही थी! अब यह सच है या झूठ वो तो आने वाला वक्त ही बताएगा जब इसमें जाँच की जाएगी!
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