सेंगोल क्या है? इसका इतिहास | Sengol Meaning in Hindi

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Sengol Meaning in Hindi – भारत में नवनिर्मित संसद भवन की चर्चा पूरे देश में है, एक ओर जहां संसद भवन के उद्घाटन को लेकर पक्ष और विपक्ष आमने सामने दिखाई दे रहे हैं! वही 28 मई को विपक्ष के विरोध को खारिज करते हुए देश के प्रधानमंत्री ने स्वयं संसद भवन का उद्घाटन किया गया।

संसद भवन के उद्घाटन के कार्यक्रम के दौरान देश के गृहमंत्री अमित शाह ने सेंगोल को नए संसद भवन में स्थापित करने की योजना काभी खुलासा किया।

सेंगोल, यह नाम आप सबके लिए काफी नया हो सकता है लेकिन हम आपको बता दें कि इस शब्द का इस्तेमाल भारतीय राजदंड के रूप में हो रहा है, और सेंगोल को हिंदू वादी भारतीय सरकार मोदी सरकार ने नये संसद भवन में स्थापित कर दिया हैं!

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आइए जानते हैं कि आखिर यह सेंगोल क्या है? What is Sengol in Hindi और सेंगोल का हिन्दी में अर्थ (Sengol Meaning in Hindi) क्या है? 

दोस्तों, सेंगोल का इतिहास अपने आप में बहुत बड़ा है! इतना ही नहीं सेंगोल का प्रसंग महाभारत और रामायण जैसे महान हिंदू ग्रंथों में भी पाया गया है!

पहले के समय में राजासही के दौरान जब नये राजा का राज्याभिषेक होता था तो राजा को मुकुट पहनाने के साथ साथ सेंगोल राजदंड को हस्तांतरित किया जाता था इस लेख में आपको सेंगोल बारे में सारी जानकारी प्राप्त कर पाएंगे।

सेंगोल क्या हैं? What is Sengol in Hindi

सेंगोल भारतीय राजदंड हैं जो इतिहास में चोल साम्राज्य के समय से ही चला आ रहा है, इस राजदंड को सौंपने की परंपरा चोल वंशद्वारा शुरू की गई।

इस परंपरा की शुरुआत इसलिए भी की गई थी ताकि आने वाला उत्तराधिकारी अपने साम्राज्य की शक्ति और सत्ता के प्रतीक सेंगोलराजदंड को महसूस कर पाए।

सोने और चांदी से निर्मित इस सेंगोल को धर्म से जोड़कर भी देखा जाता है क्योंकि उस पर भगवान शिव का प्रिय वाहन नंदी का आकारभी बनाया गया है नंदी तो स्वयं निष्पक्ष होने का प्रतीक होते हैं।

सेंगोल का अर्थ | Sengol Meaning in Hindi

सेंगोल शब्द का अर्थ अपने आप में बहुत सकारात्मक है! दरअसल सेंगोल शब्द तमिल भाषा के सेम्मई शब्द से उत्पन्न हुआ है, इसका अर्थ धर्मसच्चाई और निष्ठा माना जाता है।

इसके अलावा हिंदी के कई विशेषज्ञों का मानना है कि सेंगोल शब्द का अर्थ हिंदी में “संपन्नता” होता है।वही अंग्रेजी भाषा में सेंगोल को Righteousness यानी नीतिपरायणता शब्द से जोड़ा जाता है।

यह एक राजदंड है और देश में सत्ता और शक्ति के हस्तांतरण के प्रदर्शन के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

सेंगोल की आकृति

सेंगोल की आकृति की बात करें तो यह एक दंड के रूप में है, यह किसी भी देश अथवा साम्राज्य में उसके शक्ति को प्रदर्शित करती है।नए संसद भवन में से स्पीकर महोदय की सीट के पास स्थापित किया जाएगा।

अभी तक सेंगोल संग्रहालय में रखा हुआ था बहुत समय पहले जब इसे पंडित जवाहरलाल नेहरू को सौंपा गया था तब इसकी लंबाई 5 फिट थी।

वर्तमान समय में सेंगोल के वजन में लगभग 800 ग्राम सोना हैं! सेंगोल की आकृति को देखते पर ऐसा प्रतीत होता है कि इसके ऊपर भगवान शिव का प्रिय वाहन नंदी स्थापित है! 

इसका मुख्य कारण यह है कि दक्षिण भारत के लोग ऐसा मानते हैं कि भगवान शिव का वाहन नंदी न्याय और निष्पक्ष का प्रतीक है।

सेंगोल का निर्माण

सेंगोल को बनाने का पूरा श्रेय चेन्नई के सुप्रसिद्ध जौहरी वुम्मिदी बंगारू चेट्टी को जाता हैं,वुम्मिदी बंगारू ने सेंगोल को मात्र 1 महीने कासमय लेकर तैयार कर दिया था।

सेंगोल को बने हुए 75 वर्ष से भी अधिक का समय हो चुका है हालांकि अभी भी वुम्मिदी बंगारू के परिवार के कुछ सदस्य जीवित है , जिन्होंने इस सेंगोल को अपने सामने बनता हुआ देखा था।

वुम्मिदी एथिराजुलु  (96 वर्ष) वुम्मिदी सुधाकर ( 88 वर्ष) ने सेंगोल को बनते हुए प्रत्यक्ष रूप से देखा था, इन दोनों को ही संसद भवनके उद्घाटन के समय अतिथि के रूप में बुलाया भी गया था।

सेंगोल से जुड़े हुए ऐतिहासिक तथ्य

सेंगोल से जुड़े हुए ऐतिहासिक तथ्य बताते हैं कि इसके निर्माण का कार्य उस समय शुरू हुआ था जब भारत में चोल राजवंश का राजथा।

उन दिनों चोल साम्राज्य ने एक विशेष तरह का राजदंड बनवाया था, जिन्हें वह अपने उत्तराधिकारी उनको साम्राज्य की शक्ति के रूप मेंराज्याभिषेक से पहले सौंपती थी।

यह परंपरा कई सदियों तक चली, चोल राजवंश के बाद भी आने वाले राजाओं ने इस परंपरा को निभाया।

वहीं भारत के आजाद हो जाने के पश्चात भी शक्ति और सत्ता के हस्तांतरण के रूप में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू कोवायसराय लॉर्ड माउंटबेटन द्वारा सेंगोल राजदंड सौंपा गया था।

सेंगोल को सत्ता हस्तांतरण के रूप में अपनाने का सुझाव देने वाले व्यक्ति सी राजगोपालाचारी थे, क्योंकि उनका संबंध दक्षिण भारत सेथा और उन्हें भारतीय इतिहास का भी पूर्ण ज्ञान था।

सेंगोल राजदंड को हमेशा सही सत्ता में निष्पक्ष और न्याय का प्रतीक माना जाता है।

पीएम को शक्ति के रूप में सौंपा गया सेंगोल राजदंड

नए संसद भवन का उद्घाटन तो 28 मई को पीएम द्वारा किया गया लेकिन इससे एक दिन पहले ही सेंगोल राजदंड को पीएम को सौंपदिया गया।

इस राजदंड को ग्रहण करने का अर्थ यह होता हैं कि जिसने इसे ग्रहण किया है,उस व्यक्ति के लिए न्याय और निष्पक्ष शासन का आदेशहैं।

नए संसद भवन के उद्घाटन की पूर्व संध्या पर धर्मपुरम और थिरुवदुथुरई के अधीनम महंतो दिल्ली पहुंचे और उन्होंने इस भारतीय राजदंडको देश के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति प्रधानमंत्री मोदी को सौंप दिया।

28 मई 2023 को नए संसद भवन के उद्घाटन के साथ ही इस सेंगोल को नए संसद भवन में स्थापित कर दिया जाएगा।

स्थापन के बाद केवल विशेष अवसरों पर ही इस राजदंड को देशवासियों को दिखाया जाएगा।

सेंगोल के चर्चा में होने के कारण

28 मई 2023 को जब देश को नए संसद भवन की सौगात मिली तो सेंगोल भी खूब सुर्खियों में रहा कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय गृह मंत्रीअमित शाह द्वारा यह ऐलान किया गया सेंगोल राजदंड को एक शक्ति के रूप में देखना चाहिए जिसे अंग्रेजों ने भारत को सौंप दिया है।

गृह मंत्री ने कहा कि पीएम को सेंगोल सौंपा जायेगा, उद्घाटन से पूर्व पीएम सेंगोल के साथ सबसे आगे होंगे और उसके बाद ही भवनउद्घाटन का कार्यक्रम शुरू होगा।

सेंगोल को नए संसद भवन में क्यों स्थापित किया गया?

नए संसद भवन में सेंगोल की स्थापना भारत के इतिहास और विरासत को सम्मान देने का एक तरीका है। यह लोकतंत्र और स्वतंत्रता केप्रति देश की प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है।

सेंगोल का क्या महत्व है?

सेंगोल शक्ति, अधिकार और संप्रभुता का प्रतीक है। यह भारत के समृद्ध इतिहास और संस्कृति का भी प्रतीक है।

नए संसद भवन में सेंगोल कैसे आया?

सेंगोल मूल रूप से जवाहरलाल नेहरू को चोल राजवंश द्वारा दिया गया था, जिन्होंने 600 से अधिक वर्षों तक तमिलनाडु पर शासनकिया था। फिर नेहरू ने इसे इलाहाबाद संग्रहालय को उपहार में दे दिया, जहां यह हाल ही में दिल्ली लौटने तक बना रहा।

नए संसद भवन में सेंगोल होने के क्या फायदे हैं?

नए संसद भवन में सेंगोल का होना अतीत को वर्तमान से जोड़ने का एक तरीका है। यह लोकतंत्र और स्वतंत्रता के मूल्यों को बनाए रखनेके लिए सांसदों को उनकी जिम्मेदारी याद दिलाने का एक तरीका भी है।

नए संसद भवन में सेंगोल के होने की क्या चुनौतियाँ हैं?

नए संसद भवन में सेंगोल के होने की एक चुनौती यह है कि यह बर्बरता या चोरी का निशाना बन सकता है। एक और चुनौती यह है किइसे हिंदू राष्ट्रवाद के प्रतीक के रूप में देखा जा सकता है, जो भारतीय आबादी के कुछ सदस्यों को अलग-थलग कर सकता है।

सेंगोल के लिए भविष्य की क्या योजनाएं हैं?

सेंगोल की भविष्य की योजना अभी स्पष्ट नहीं है। हालांकि, यह संभावना है कि यह आने वाले कई वर्षों तक नए संसद भवन में बनारहेगा।

निष्कर्ष – Conclusion

तो दोस्तों आज के इस लेख में हमने चोल वंश के दौरान जिस राजदंड का प्रयोग सत्ता हस्तांतरण के लिए किया जाता था उसी राजदंड यानी की सेंगोल के बारे में चर्चा की और Sengol Meaning in Hindi क्या है के बारे में भी विस्तार पूर्वक जानकारी प्राप्त किया!

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