Gilgit-Baltistan जिसे आज के समय में POK अर्थात पाक अधिकृत कश्मीर (Pakistan-occupied Kashmir) कहा जाता है! यानि की पाकिस्तान का कब्जे वाला कश्मीर आइये जानते हैं इसके बारे में! जैसे की आप जानते हैं कुछ दिन पहले भारत के विदेश मंत्रालय ने साफ कहा कि पाकिस्तान POK को खाली करा दें!
यह क्यों कहा गया आइये जानते हैं;
कुछ दिन पहले पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने POK(Pakistan-occupied Kashmir) में चुनाव कराने की घोषणा की थी! लेकिन भारत ने इसका कड़ा विरोध किया है. पाकिस्तान के राजनयिक को सूचित करते हुए भारत ने साफ कहा! पाकिस्तान पीओके में कोई बदलाव करने की सोचे भी नहीं! यहाँ पर पाकिस्तान द्वारा किसी भी दवाब को सहन नहीं किया जायेगा! भारत ने POK पर कड़ी आपत्ति दर्ज की है! भारत ने यहाँ के लोगों पर अब किसी भी उत्पीड़न होने पर पाकिस्तान का विरोध किया है.
आइये अब जानते है! क्या है? इसका इतिहास जानते हैं!
क्यों भारत इसको अपना अभिन्न अंग मानता है?
वही पाकिस्तान POK पर अपना कब्जा क्यों समझता है?
दरअसल 1947 में आजादी के समय जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ! तब पीओके वाली जगह का बँटवारा नहीं किया गया था। पीओके की नींव ही झूठ और फरेब के साथ रखी गयी थी!
बिट्रेन ने इस क्षेत्र को 1935 में गिलगित एंजेसी को लीज पर दिया था यानि किराए पर दिया था! लीज का समय रखा गया 60 साल! लेकिन उसके बाद क्या हुआ! अंग्रेजों ने यह निर्णय वापस ले लिया और इस समझौते को रद्द कर दिया गया.
उसके बाद क्या हुआ?
उसके बाद राजा हरि सिंह को अंग्रेजों इस क्षेत्र को सौप दिया! और यही से शुरू हुई लड़ाई! दो देशों के बीच बड़ा विवाद जो आज तक नहीं सुलझा! इसके बाद गिलगित-बाल्टिस्तान के कुछ कबीलियों ने पाकिस्तानी फौज के साथ मिलकर Gilgit-Baltistan पर ही हमला करना शुरू कर दिया! यानि वहीं के कबलियों ने वहाँ के हिंदुओं के साथ बगावत की चिंगारी को सुलगाना शुरू कर दिया!
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कबलियों को पाकिस्तान से हथियार दिये जाते थे, और कबाली और पाकिस्तानी मिलकर हिंदुओं पर हमले, अत्याचार करने लगे! कबलियों की ताकत इसलिये भी बढ़ चुकी थी! पाकिस्तानी सेना का सहयोग उनको मिलने लगा! धीरे धीरे कबलियों की फौज श्री नगर की तरफ बढ़ने लगी और पूरे देश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार की खबर फैलने लगी.
उसके बाद क्या हुआ:
उसके बाद राजा हरि सिंह ने 25 अक्टूबर को Gilgit-Baltistan को भारत में विलय के सन्धि पत्र में हस्ताक्षर कर दिये! अब पाकिस्तान ऐसा होने से बुरी तरह बौखला चुका था!और फिर उसने हमले और तेज कर दिये ! ताकि वह कुछ और अत्याचार कर सके जिससे वहाँ के लोग भय में जियें.
अब जैसे ही हरि सिंह ने ऐसा किया! तो उसके दूसरे दिन ही भारतीय सेना कबलियों से लड़ने के लिये श्री नगर एयरपोर्ट पर पहुँच गयी! लेकिन जो लोग वहाँ पर हमले और अत्याचार की राजनीति कर रहे थे उनको नहीं खदेड़ पाई
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उसके बाद शुरू हुआ विद्रोह
गिलगित- बाल्टिस्तान के एक स्थानीय कमांडर कर्नल मिर्जा हसन खान ने 2 नवम्बर 1947 को भारत में विलय का विरोध करना शुरू कर दिया! कर्नल ने यह तक एलान कर दिया कि Gilgit-Baltistan अब आजाद हो चुके हैं,और भारतीय सेना हमसे हार चुकी है. क्योंकि भारतीय सेना वहाँ से कबलियों के हमले वाली फौज को पूरी तरह नहीं खदेड़ पाये थे.
इसके साथ उन लोगों ने Gilgit-Baltistan के साथ सटे कश्मीर के अन्य इलाकों पर हमला करना शुरू कर दिया! कबाली ऐसा करने में इसलिये भी कामयाब हो रहे थे क्योंकि पाकिस्तानी सेना उनके साथ थी.तब से पाकिस्तान इनके साथ मिलकर अपना कब्जा करना शुरू कर दिया इसलिए इस क्षेत्र को पीओके यानि Pakistan-occupied Kashmir कहा जाने लगा. इसके कुछ समय बाद पाकिस्तान ने इसे पूरा अपने कब्जे में ले लिया और यहाँ पर एक मुखोटे वाली सरकार का गठन कर दिया जिसके कंट्रोल पाकिस्तान से होता था.
अंत में–
कुछ समय बाद यहाँ की मुखोटे वाली सरकार ने स्वंय को पाकिस्तान के हवाले कर दिया! असल में भारत इसे अपना अभिन्न अंग इसलिए मानता है क्योंकि यह भारत के हिस्से में आकर उसके बाद छीन लिया गया. राजा हरि सिंह ने इसको भारत को ही तो सौंपा था.लेकिन पाकिस्तान आज भी इस पर अपना कब्जा मानता है,और अब यहाँ चुनाव कराना चाहता है जो भारत नहीं होने देना चाहता.
भारत ने साफ कह दिया है यहाँ पर पाकिस्तान के किसी भी बदलाव को सहन नहीं किया जायेगा!