नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर निबंध हिंदी में | Subhash Chandra Bose Essay in Hindi

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Subhash Chandra Bose Essay in Hindi – सुभाष चन्द्र बोस 23 जनवरी, 1897 को बंगाल के हिस्से से एक परिवार में जन्मे थे। उनके पिता एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के समय अपनी सरकारी सेवा से इस्तीफा दिया था।

सुभाष चन्द्र बोस के बचपन में उनकी अच्छी शिक्षा के साथ ही उनके पिता ने उनको भारत को अंग्रजी शासन से मुक्ति दिलाने और स्वतंत्र संग्राम की शिक्षा भी दी।

वे अपने कॉलेज के दिनों में ही स्वतंत्रता संग्राम के लिए आगे आ गए थे!

Subhash Chandra Bose Essay in Hindi

सुभाष चंद्र बोस पर 10 लाइन

  1. नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान एक प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता थे।
  2. वह अपने मजबूत नेतृत्व कौशल और ब्रिटिश शासन से भारतीय स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए बल के उपयोग में विश्वास के लिए जाने जाते थे।
  3. बोस ने भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) का गठन किया और भारत की स्वतंत्रता के लिए समर्थन हासिल करने के लिए द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान धुरी शक्तियों के साथ मिलकर काम किया।
  4. वह अपने प्रसिद्ध उद्धरण “तुम मुझे खून दो, और मैं तुम्हें आजादी दूंगा” के लिए भी जाना जाता है।
  5. भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में बोस की भूमिका अभी भी विवाद का विषय है, कुछ लोग उन्हें एक देशभक्त के रूप में और अन्य देशद्रोही के रूप में देखते हैं।
  6. 1945 में बोस की मृत्यु एक रहस्य बनी हुई है, जिसमें एक विमान दुर्घटना से लेकर एक अलग पहचान के तहत छुपकर रहने तक के सिद्धांत शामिल हैं।
  7. वह भारत में एक राष्ट्रीय नायक थे और उनके जन्मदिन, 23 जनवरी को “नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती” के रूप में मनाया जाता है।
  8. वह भारत में कई फिल्मों, किताबों और गीतों का विषय रहा है और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान के लिए आज भी याद किया जाता है।
  9. बोस ने फॉरवर्ड ब्लॉक के गठन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसका उद्देश्य सभी ब्रिटिश विरोधी भारतीय दलों को एकजुट करना था।
  10. भारत में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की विरासत का जश्न मनाया जाता है, जहां उन्हें ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में याद किया जाता है।

सुभाष चन्द्र बोस का बचपन

नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक शहर संपन्न बंगाली परिवार में हुआ था।

सुभाष चन्द्र बोस की शिक्षा | Subhash Chandra Bose Essay in Hindi

सुभाष चंद्र बोस ने प्राइमरी की शिक्षा कटक के प्रोस्टेंट स्कूल से प्राप्त करी थी। उसके बाद इन्होंने रिवेन्शा कॉलेजिएट स्कूल में दाखिला लिया था। जब सुभाष चंद्र बोस जी कॉलेज में थे तब उनके प्रिंसिपल बेनी माधव दास का स्वभाव ने उन्हें अत्यधिक प्रभावित किया।

जब सुभाष चंद्र बोस जी केवल 15 वर्ष के थे तब उन्होंने विवेकानंद साहित्य का पूर्ण ज्ञान प्राप्त कर लिया था। जब इंटरमीडिएट की परीक्षा थी तब सुभाष चंद्र जी बीमार पड़ गए थे। फूलों ने इंटरमीडिएट की परीक्षा द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण कर ली थी!

1916 में जब वह बीए के छात्र थे तब तक इसी बात पर कॉलेज के टीचर और स्टूडेंट के बीच झगड़ा हो गया था अरे सुभाष चंद्र जी ने स्टूडेंट का नेतृत्व संभाल लिया इस वजह से उन्हें प्रेसिडेंसी कॉलेज से 1 साल के लिए निकाल दिया था और परीक्षा देने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था

स्वतंत्रता संग्राम

सुभाष चन्द्र बोस की कॉलेज की शिक्षा के बाद, उन्होंने ब्रिटिश सरकार की सेवा में काम करने के लिए आवेदन किया। लेकिन उनकी आवेदन को अस्वीकृत कर दिया गया। दरअसल उनकी स्वतंत्रता संग्राम के प्रति स्वच्छ व्यक्तित्व के कारण उनकी आवेदन को अस्वीकृत कर दिया गया।

बाद में सुभाष चन्द्र बोस ने स्वतंत्रता संग्राम में सहयोग करने के लिए अपने देश के बाहर भाग लिया। उनके प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम के कार्यों के कारण उनको “Netaji” के नाम से भी जाना जाता है। उनकी स्वतंत्रता संग्राम के सफलता के कारण आज भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र है!

नेतृत्व की शिक्षा

सुभाष चंद्र बोस को बचपन में ही उनके पिताजी ने देश सेवा और अंग्रेजी शासन से स्वतंत्रता प्राप्तिवके लक्ष्य के लिए प्रेरित किया!

इसके साथ ही उनके पिताजी ने उन्हें नेतृत्व की शिक्षा भी प्रदान की! उन्होंने बचपन से ही संस्कृत और साहित्य को प्रेरित होते हुए देखा। उन्होंने कॉलेज के दौरान अपने साहित्य के क्षेत्र में अधिक सुधार किया।

सुभाष चन्द्र बोस ने भारतीय संस्कृति को समर्पित करने के लिए काफ़ी ज्यादा काम किया। उनके नेतृत्व की शिक्षा के दौरान, उन्होंने अपने समक्ष अंग्रजी शासन और से सम्बंधित समस्याओं का समाधान किया!

सुभाष चंद्र बोस जी के माता पिता का नाम

सुभाष चंद्र बोस जी के पिता का नाम जानकीनाथ बोस था, जो कटक शहर के एक मशहूर वकील थे और माता जी का नाम प्रभावती था। प्रभावती और जानकीनाथ बोस की कुल 14 संताने थी। सुभाष चंद्र बोस जी 8 भाई और 6 बहन थी, सुभाष चंद्र बोस जी अपने माता पिता के नवी संतान थे।

सुभाष चंद्र बोस जी का विवाह

नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी जी ने अपने देश की आजादी के लिए विश्वंभर का भ्रमण किया था और ब्रिटेन के विरोधी देशों का साथ पाने के लिए इन्होंने बहुत मेहनत की थी।

इसी प्रयास के बीच ऑस्ट्रेलियन मूल की एक महिला एमिली शेंकल से उनकी मुलाकात हुई थी। जब 1937 में सुभाष चंद्र बोस जी अपनी एक किताब लिख रहे थे जिसका नाम था द इंडियन स्ट्रगल तो उस किताब को लिखने के लिए इन्होंने एमिली शेंकल की सहायता ली किताब लिखते लिखते दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया था तो सुभाष चंद्र बोस जी ने एमली के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा था।

1937 में जर्मनी में इन्होंने किसी अज्ञात जगह पर जाकर विवाह कर लिया था। परंतु सुभाष चंद्र बोस जी और एमिली के विवाह का जर्मनी सरकार ने पंजीयन की अनुमति नहीं दी क्योंकि सुभाष चंद्र बोस जी ने और एमिली ने हिंदू रीति-रिवाज से विवाह कर लिया था।

बाद में इन्होंने एक संतान को जन्म दिया जिसका नाम इन्होंने अनीता रखा था। 1943 में सुभाष चंद्र बोस जी ने मां एमिली और उनकी बेटी अनीता दोनों को ही जर्मनी में छोड़कर भारत आ गए थे।

सुभाष चंद्र बोस जी ने 49 रेजिमेंट भर्ती की परीक्षा दी परंतु आंखें खराब होने की वजह से उन्हें उसमें एडमिशन नहीं मिला।

सुभाष चंद्र बोस जी का सेना में जाने का बहुत मन था लेकिन जब वह नहीं जा पाए तो उन्होंने स्कॉटिश चर्च कॉलेज में प्रवेश लिया वो भी खाली समय का उपयोग करने के लिए, उन्होंने टेरिटोरियल आर्मी की परीक्षा दी और फोर्ट विलियम सेनालय में प्रवेश पा लिया!

और इसके साथ ही सुभाष चंद्र बोस जी ने बीए की परीक्षा की भी तैयारी बहुत ही अच्छे तरीके से कर लिया और उसमें यह प्रथम श्रेणी में पास करा और कोलकाता विश्वविद्यालय में अपना दूसरा स्थान बनाया।

उनके पिताजी की जानकी नाथ जी की इच्छा तो उन्हे आईपीएस बनाने की थी। और उन्हें यह परीक्षा उम्र के हिसाब से एक ही बार में पास करनी थी। और इस एग्जाम को देना है या नहीं इसके लिए उन्होंने अपने पिताजी से 24 घंटे मांगे ताकि वह निर्णय ले सके, बाद में उन्होंने फैसला लिया कि वह इंग्लैंड जाएंगे और परीक्षा की तैयारी करेंगे।

उन्हें लंदन के किसी स्कूल में दाखिला नहीं मिल पाया था इसके बाद उन्होंने किट्स विलियम हॉल में मानसिक एवं नैतिक विज्ञान की ट्राईपास की परीक्षा का अध्ययन करने हेतु प्रवेश ले लिया।

इससे उन्हें यह फायदा हुआ कि एक तो उनका खाने और रहने की समस्या का हल हो गया और दूसरा उन्हें आईसीएस बनना था सो उनका मकसद भी पूरा हो गया।

सुभाष चंद्र बोस की मृत्युु | Subhash Chandra Bose Essay in Hindi

कहा जाता है कि सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु विमान हादसे में हुई थी।

सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु का कारण अपने समय के लोगों द्वारा अधिक से अधिक रहस्यमय रूप से समझा गया है।

उनकी मृत्यु के कारण अलग अलग माने जाते है, कुछ स्थानों पर उनकी मृत्यु के कारण एक यात्रा से लौटने की कोशिश करते समय हादसा हुआ है।

सुभाष चंद्र बोस जी के सर्वश्रेष्ठ और प्रेरणादायक विचार

भारत को स्वतंत्रता दिलाने में बहुत से महान क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों को त्याग दिया था इन्हीं महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सुभाष जी की सेना का नाम आजाद हिंद फौज था।

● तुम मुझे खून दो में तुम्हे आजादी दी गए
● आज हमारे अंदर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशस्त हो सके।
● जीवन में अगर संघर्ष ना रहे किसी भी भय का सामना ना करना पड़े तब जीवन का आधा स्वाद ही समाप्त हो जाता है।
● एक सच्चे सैनिक को सैन्य और आध्यात्मिक दोनों ही प्रशिक्षण की जरूरत होती है।
● अपनी ताकत पर भरोसा करो उधार की ताकत तुम्हारे लिए घातक है।
● आजादी मिलती नहीं बल्कि इसे छिनना पड़ता है।
● भारत में राष्ट्रवाद ने एक कैसी शक्ति का संचार किया है जो लोगों के अंदर सदियों से निष्क्रिय पड़ी थी।
● याद रखिए सबसे बड़ा अपराध अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना है।
● इतिहास में कभी भी विचार विमर्श से कोई भी ठोस परिवर्तन हासिल नहीं किया गया है।
● संघर्ष ने मुझे मनुष्य बनाया मुझ में आत्म विश्वास उत्पन्न हुआ जो पहले नहीं था

नेताजी सुभाष चंद्र जी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे उन्होंने गुलाम भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजादी दिलवाने के लिए अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करी थी। स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे अग्रणी नेता थे सुभाष चंद्र बोस जी उनके अंदर देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी थी।

उन्होंने दित्तिय विश्व युद्ध के दौरान जापान की मदद से आजाद हिंद फौज की स्थापना करी थी।

सुभाष चंद्र बोस जी एक आदर्श नेता और एक महान शख्सियत है। उनके अंदर त्याग और आत्मसमर्पण की भावना अत्यधिक समाहित थी। नेता जी सुभाष चंद्र बोस जी के आंदोलन के दौरान उनका सबसे बड़ा नारा तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा इसमें बड़ी संख्या में भारतीय युवाओं के अंदर इस आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया था

सुभाष चंद्र बोस जी का राष्ट्रीय नारा जय हिंद भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया था।!

सुभाष चंद्र बोस जी देश के एक ऐसे नेता थे। जिनके द्वारा दिए गए योगदान को हमारा देश कभी भी नहीं भुला सकता है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी पर स्वामी विवेकानंद जी का गहरा प्रभाव पड़ा था।

आजाद हिंद फौज की स्थापना (Subhash Chandra Bose Essay in Hindi)

आजाद हिंद फौज का गठन 29 अक्टूबर 1915 में रास बिहारी बोस ने अफगानिस्तान में किया था। उस वक्त मूल रूप से आजाद हिंद सरकार की सेना थी!

जिसका एकमात्र लक्ष्य यह था कि अंग्रेजों से लड़कर भारत देश को स्वतंत्रता दिलाना इस हेतु सुभाष चंद्र बोस जी ने 40,000 भारतीय स्त्री पुरुष को प्रशिक्षित कर इनकी एक सेना का गठन किया था इसका नाम इन्होंने आजाद हिंद फौज रखा था और इसका सर्वोच्च कमांडर सुभाष चंद्र बोस को बनाया गया था।

नेताजी जी सुभाष चंद्र बोस जी की जयंती

नेताजी सुभाष चंद्र बोस उन महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों में से में से एक है जिनसे आज के दौर के युवा वर्ग भी प्रेरणा लेते हैं। सरकार ने नेताजी के जन्मदिन को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा की है इसलिए सुभाष चंद्र बोस जी की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है 2022 में सुभाष चंद्र बोस जी की 126 वी जयंती मनाई गई।

सुभाष चंद्र बोस जी की जयंती विद्यालय और सरकारी दफ्तरों में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। इस उपलक्ष्य में कई रंगारंग कार्यक्रम विद्यालयो में करा जाता है।

इस उपलक्ष में भाषण प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता पोस्टर प्रतियोगिता क्विज प्रतियोगिता आदि होती है जिसमें विद्यार्थी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं।

शिक्षक गण विद्यार्थियों से सुभाष चंद्र बोस जी के बारे में क्वेश्चन पूछते हैं और जो अधिक उत्तर देता है उसे इनाम वितरित किया जाता है। इसलिए बच्चों के लिए यह दिन सबसे उत्साह का दिन होता है और इसकी तैयारी वह कई दिन पहले से करने लगते हैं।

इस दिन विद्यालय की साफ-सफाई करी जाती है। और विद्यालय के मंच पर सुभाष चंद्र बोस जी की मूर्ति रखी जाती है। और मूर्ति पर मालाअर्पण किया जाता है। साथ ही सुभाष चंद्र बोस जी के गीत आदि का आयोजन किया जाता है!

इस तरह से सुभाष चंद्र बोस जी की जयंती एक समारोह के रूप में मनाई जाती है जिसमें विद्यार्थियो का सबसे ज्यादा योगदान रहता है।

उपसंहार | Subhash Chandra Bose Essay in Hindi

आज केबिस लेख नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर निबंध हिंदी में | Subhash Chandra Bose Essay in Hindi से हमे नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के जीवन के बारे में जानने को मिला! राष्ट्रपिता के नाम से संबोधित नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी ने महात्मा गांधी जी को सबसे पहले किया था। सुभाष चंद्र बोस जी ने स्वतंत्रता के लिए आजाद हिंद फौज की स्थापना करी थी। स्वतंत्रता के लिए इनके विचार उच्च कोटि के थे।

इनका मुख्य नारा था तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा। सुभाष चंद्र बोस जी ने स्वतंत्रता के लिए कई महत्तम कार्य किए थे।

1 thought on “नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर निबंध हिंदी में | Subhash Chandra Bose Essay in Hindi”

  1. हाय दोस्तों,

    मैंने इस “Shubhas Chandra Bose in Hindi” की ब्लॉग पोस्ट को पढ़ा है और मैंने इसके बारे में बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की है। यह पोस्ट Shubhas Chandra Bose के विवरणों के बारे में, उनके उद्देश्यों के बारे में और उनके लिए अहमियतें के बारे में समझाती है।

    मैं इसके लिए लेखक को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ। यह पोस्ट हमेशा प्रतिबिंबित होने वाले लोगों के लिए उपयोगी है, जो इतिहास को समझने और मृत व्यक्तियों के लिए सम्मान के विवरण प्राप्त करना चाहते हैं।

    धन्यवाद!

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