Hi नमस्कार दोस्तों, आज के इस हिंदी लेख में हम डीएलसी टेस्ट क्या है? (DLC Test Kya Hai) डीएलसी टेस्ट का फुल फॉर्म क्या है? (DLC Test Ka Full Form) के बारे में विस्तार से बात करने वाले है! इसके साथ ही एक व्यक्ति में सामान्य डीएलसी रेट कितनी होनी चाहिए? के बारे में बताएंगे!
DLC के बारे में बताने से पहले आपको यह पता होना जरूरी है इसका संबध आपके शरीर में खून में पाए जाने वाले श्वेत रक्त कोशिकाओं से होता है!
जैसा की पूरी दुनिया में फैले हुए Covid 19 वायरस से बचाव में भी यह रक्त कोशिकाएं हमारे शरीर की रक्षा करने में मदद करती है!
श्वेत रक्त कोशिकाएं हमारे शरीर में रोगों, वायरस और बैक्टीरिया से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता को बढाती है!
इसलिए DLC का महत्व और ज्यादा बढ़ गया है! जैसा कि आप सब जानते हो की आजकल हॉस्पिटल में बहुत सारे टेस्ट किए जाते है ताकि हमारे शरीर से जुड़ी बीमारियों का पता लगाया जा सकता है।
इन्हीं टेस्ट में से डीएलसी भी एक प्रकार का टेस्ट है जिससे की हमारे खून में मौजूद WBC यानी की White Blood Cells की जांच की जा सके!
तो चलिए डीएलसी टेस्ट क्या है? (DLC Test Kya Hai) डीएलसी टेस्ट क्यों किया जाता है? और डीएलसी की नार्मल रेंज कितनी होती है? के बारे में ठीक प्रकार से समझ लेते है!
डीएलसी फुल फॉर्म – DLC Ka Full Form
DLC Ka Full Form: डीएलसी का पूरा नाम ‘Differential Leukocyte Count’ होता है!
यह एक तरह का ब्लड टेस्ट है जो हमारे शरीर की रक्त कोशिकाओं में उपस्थित WBC (White blood cells) के बारे जानकारी प्रदान करता हैं!
DLC Full Form in Hindi: हिंदी में DLC का फुल फॉर्म “विभेदक ल्यूकोसाइट गिनती” होता हैं! इसका मतलब मानव शरीर में खून में उपस्थित सफेद रक्त कोशिकाओं की गिनती करना होता है!
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डीएलसी टेस्ट क्या है – DLC Test Kya Hai
DLC Kya Hai: डीएलसी मनुष्य के शरीर में खून में मौजूद प्रत्येक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाओं के प्रतिशत को मापने के लिए किया जाने वाला एक प्रकार का ब्लड टेस्ट होता है!
डीएलसी टेस्ट के मदद से यह भी पता चल जाता है की हाल के दिनों में हमारे खून के कितनी WBC बनी है और क्या वे अच्छी तरह से विकसित हुई है या नही हुई है!
हमारे शरीर में खून की जांच (Blood test) के दौरान खून में उपस्थित तत्व – हीमोग्लोबिन, रेड ब्लड सेल्स, प्लेटलेट्स और सफेद ब्लड सेल्स की मात्रा की जाँच की जाती है!
DLC जाँच के जरिए आप अनेक बीमारी जैसे की बुखार, खांसी, पेशाब में इन्फेक्शन,ल्यूकोमिया, न्यूमोनिया और अन्य इन्फेक्शन के बारे में भी जान सकते हो!
डीएलसी एक तरह की बुनियादी जांच है! डीएलसी टेस्ट की मदद से हम शरीर में होने वाली तमाम तरह की बीमारियों (बुखार और खून की कमी) के बारे में पता कर सकते हैं!
यदि हमें इस बीमारी के बारे में शुरू में ही पता चल जाए तो हम इसका समय पर इलाज भी करा सकते हैं इसलिए क्योंकि हमारे शरीर में कोई बीमारी न फ़ैल सके!
श्वेत रक्त कोशिकाएं क्या है – What is WBC in Hindi
White Blood Cell (Leucocytes) हमारे खून में पाई जाने वाली बहुत ही महत्वपूर्ण कोशिकाएं है जो हमारे शरीर की अनेक प्रकार के इन्फेक्शन,बैक्टीरिया और बीमारी से रक्षा करने में मदद करती है!
कोरोना वायरस की जाँच के दौरान बताया गया की कई लोग इस कोरोना महामारी में survive करने के सफल रहे है जिसका कारण था WBC का हमारे शरीर में पर्याप्त मात्रा में पाया जाना!
WBC शरीर को प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करती है! इससे आप समझ ही गए होंगे डब्लूबीसी शरीर के लिए कितनी जरूरी हैं!
WBC मुख्य रूप से 5 प्रकार के होते है जो की इस प्रकार है!
- न्यूट्रोफिल्स (Neutrophils)
- लिम्फोसाइट्स (Lymphocytes)
- मोनोसाइट्स (Monocytes)
- बेसोफिल (Basophils)
- इओसिनोफिल (Eosinophils)
1). न्यूट्रोफिल्स (Neutrophils)
न्यूट्रोफिल्स श्वेत रक्त कोशिकाओं का सामान्य रूप होता है जो सूक्ष्मजीवों को शरीर में जाने से रोकती है!
2). लिम्फोसाइट्स (Lymphocytes)
लिम्फोसाइट्स श्वेत रक्त कोशिकाएं होती हैं! यह शरीर की मुख्य प्रतिरोधक कोशिकाएं होती है!
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मुख्यता Lymphocytes दो प्रकार के होते है!
- B cell (बी कोशिका)
- T cell (टी कोशिका)
1). B cell (बी कोशिका)
जो की शरीर में जाने वाली वायरस और बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए Antibodies का इस्तेमाल करती है!
2). T cell (टी कोशिका)
दूसरी T cell (टी कोशिका) जो की पहले से संक्रमित कोशिका को नष्ट करने का काम करती हैं!
3). मोनोसाइट्स (Monocytes)
यह एक प्रकार की फैगोसाइट है जो परजीवी और बैक्टीरिया को नष्ट करती है शरीर की रक्षा करती है!
4). बेसोफिल (Basophils)
यह एक प्रकार की सफेद रक्त कोशिकाएं होती है! बेसोफिल शरीर में हानिकारक बैक्टीरिया और कीटाणुओं से लड़ने के लिए एंजाइमों के कणिकाओं को रिलीज करता हैं!
5). इओसिनोफिल (Eosinophils)
यह श्वेत रक्त कोशिकायें एलर्जी,सूजन और परजीवी से लड़ने में मदद करते हैं। सामान्य इओसिनोफिल्स 500 cells/mcL(कोशिकाओं प्रति माइक्रोलीटर) से कम होते है!
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डीएलसी टेस्ट क्यों किया जाता है? (DLC Test Kyu Kiya Jata Hai)
शरीर किसी भी प्रकार की ऐलर्जी, इन्फेक्शन, सूजन और रक्त कैंसर जैसे लिम्फोमा या ल्यूकेमिया आदि की जांच और उनका पता लगाने डॉक्टर द्वारा यह टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है!
डीएलसी बहुत ही महत्वपूर्ण ब्लड टेस्ट होता है! यह टेस्ट स्थायी और तीव्र इन्फेक्शन के बीच अंतर करता है!
इसके साथ ही डीएलसी परीक्षण कीमोथेरेपी के रोगियों के लिए फॉलोअप जाँच (अनुवर्ती) परीक्षण के रूप में किया जाता है।
डीएलसी की नार्मल रेंज कितनी होती है? – DLC Normal Range
एक वयस्क व्यक्ति के शरीर में डीएलसी यानि की WBC की सामान्य संख्या 4,500 से 11,000 WBC प्रति माइक्रोलीटर होती है सभी श्वेत रक्त कोशिकाओ की नार्मल रेंज इस प्रकार निम्न है!
- Neutrophils – 2500-8000 per mm3 (55-70%)
- Basophils – 25-1000 per mm3 (0.5 – 1%)
- Monocytes -100-700 per mm3
- Eosinophils – 50-500 per mm3 (1–4%)
- Lymphocytes – 1000-4000 per mm3 (20–40%)
Conclusion
तो आज के इस हिंदी लेख में हमने DC ka Full Form, डीएलसी टेस्ट क्या है? (DLC Test Kya Hai) डीएलसी टेस्ट क्यों किया जाता है? के बारे में आपको जानकारी दी! इसके अलावा डीएलसी की नार्मल रेंज कितनी होती है? के बारे बताया!
उम्मीद करते है आपको इस पोस्ट (DLC Kya Hai in Hindi) के माध्यम से बहुत कुछ जानने को मिला होगा!
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