नमस्कार दोस्तों, आज के इस लेख में हम हिंदी व्याकरण का प्रमुख विषय कारक किसे कहते हैं (karak kise kahate hain) इसके कितने भेद होते है?(Karak Ke Kitne Bhed Hote Hain) के बारे में आपको विस्तार से बताने वाले है! इसके साथ ही हम इस Blog में कारक की परिभाषा और कारक के उदाहरण के बारे में जानेंगे!
इससे पिछले ब्लॉग में हमने वर्ण किसे कहते है और वर्ण के कितने भेद होते है? के बारे में विस्तार से बताया था! हिंदी व्याकरण में वर्ण ध्वनि का लिखित रूप होता है!
हिंदी भाषा भारत देश के मातृभाषा के रूप में प्रचलित है! और हिंदी भाषा को समझने, लिखने और शुद्ध रूप से उच्चारित करने के लिए व्याकरण का अध्ययन बहुत जरुरी होता है!
चलिए अधिक समय व्यर्थ किये बिना शुरू करते है और कारक किसे कहते है?(Karaak kise kahate hain) कारक के कितने भेद होते है?(Karaak ke kitne Bhed hote hain) के बारे में जान लेते है!
कारक किसे कहते है? Karaak Kise Kahte Hain
कारक की परिभाषा: जब क्रिया को करने में कोई न कोई अपनी भूमिका निभाता है उसे कारक कहा जाता है! अर्थात कारक का शाब्दिक अर्थ क्रिया को करने वाला, होता है!
संज्ञा व सर्वनाम के जिस रूप से किसी वाक्य का संबंध वाक्य में उपस्थित अन्य शब्दों के साथ बोध होता हो, शब्दों के उस रूप को कारक कहते है!
साधारण शब्दों में, किसी वाक्य में वह चिन्ह जो किसी वाक्य में उपस्थित शब्दों के बीच संबध का बोध कराये कारक कहलाते है!
कारक के कितने भेद होते है? – Karaak Ke Bhed Kitne Hote Hain
हिंदी व्याकरण में कारक के मुख्यतः आठ भेद होते है जो की इस प्रकार निम्नलिखित है;
- कर्ता कारक
- कर्म कारक
- करण कारक
- सम्प्रदान कारक
- आपदान कारक
- सम्बन्ध कारक
- अधिकरण कारक
- सम्बोंधन कारक
कारक विभक्ति किसे कहते है?
हिंदी व्याकरण में किसी वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम के साथ जिन चिन्हो का प्रयोग किया जाता है उसे कारक विभक्ति कहते है!
कारक विभक्ति इस प्रकार निम्नलिखित है!
विभक्ति | कारक के प्रकार | परसर्ग चिन्ह |
प्रथम | कर्ता कारक | ‘ने’ |
द्वितीय | कर्म कारक | ‘को’ |
तृतीय | करण कारक | ‘के’ व ‘से द्वारा’ |
चतुर्थ | सम्प्रदान कारक | ‘के वास्ते’, ‘के हेतु’, ‘के लिए’ |
पंचमी | आपदान कारक | ‘से’ |
षष्ठी | सम्बन्ध कारक | ‘का’, ‘के’, ‘की’ |
सप्तमी | अधिकरण कारक | मैं, पे, पर, के ऊपर, |
सम्बोधन | सम्बोंधन कारक | अरे, सुनो, अरे, ओ, हे |
1). कर्ता कारक किसे कहते है?
हिंदी वाक्य में लिखे वह शब्द जिससे क्रिया को करने का पता चलता हो कर्ता कारक कहलाता है! यानी की जो कार्य करता हो, कर्ता के रूप में जाना जाता है!
कर्ता संज्ञा या सर्वनाम का रूप होता है और कर्ता का संबंध क्रिया से होता है! यह प्रथम विभक्ति होती है! कर्ता कारक की विभक्ति चिन्ह ‘ने’ होता है!
‘ने’ विभक्ति का प्रयोग भूतकाल की क्रिया में किया जाता है!
कर्ता कारक के उदाहरण
- राम ने पत्र लिखा!
- तुम ने खाना खाया!
- किरण ने डांस किया!
- सीता ने मंदिर में पूजा की!
- उस ने मेरी किताब फाड़ दी!
- रोहन बाजार से सब्जी लाया!
ऊपर दिए गए सभी उदाहरणों में कुछ काम हो रहा है और उस काम को कोई कर रहा है और कार्य को करने वाला कर्ता कहलाता है!
आपको बता दे, कर्ता के साथ ‘ने’ परसर्ग प्रयोग में लाया जाता है! भूतकाल की सकर्मक क्रिया होने पर ‘ने’ परसर्ग लगाया जाता है! जबकि भूतकाल की अकर्मक क्रिया के साथ ने परसर्ग नहीं लगता है!
2). कर्म कारक किसे कहते है?
जब किसी हिंदी वाक्य में क्रिया का प्रभाव जिस भी प्राणी, व्यक्ति तथा वस्तु पर पड़ रहा है, उसे ही कर्म कारक के रूप में जाना जाता है!
जब कर्ता द्वारा किए जाने वाले किसी भी कार्य का प्रभाव जिस पर पड़ता है वह कर्म कारक कहलाता है! कर्म कारक का विभक्ति चिन्ह ‘को’ होता है!
कर्म कारक के उदाहरण
- तुमने उसके घर पर पत्थर मारा!
- राम ने मोहन की पेन चोरी की!
- किरण ने तुम्हे एक पेन दी!
- मोहन ने कुत्ते को मारा!
- उसे लोगो द्वारा डराया गया!
- रवि ने सोहन को भगाया!
- मैने रोहन को डिनर पर बुलाया था!
ऊपर दिए गए वाक्यों के सभी उदाहरणों में एक कार्य हो रहा है जिसका प्रभाव किसी पर पड़ रहा है। क्रिया का प्रभाव जिस पर पड़ रहा है वही कर्म कारक कहलाता है!
3). करण कारक किसे कहते है?
जब किसी हिंदी वाक्य में लिखे गए शब्दों से क्रिया को करने के लिए प्रयोग साधन का बोध किया जाये उसे करण कारक कहा जाता है!
अथवा संज्ञा व सर्वनाम के जिस रूप की सहायता से क्रिया सम्पन्न होती है, उसे करण कारक कहा जाता है! करण कारक के दो विभक्ति चिन्ह ‘के’ व ‘से द्वारा’ होते है!
करण कारक के उदाहरण
- तुम उसके घर गाड़ी से गए थे!
- यह कविता तुम्हें पैन से लिखी है!
- राम ने उसको डंडे से मारा!
- तुमने राम के फ़ोन से मुझे फ़ोन किया था!
- गीता ने माचिस से आग लगाई!
- तुम रोज इस बस से ऑफिस जाते हो!
ऊपर बताये गए सभी उदाहरणों में कर्ता द्वारा किये जाने वाले कार्यों को किसी वस्तु व साधन द्वारा सम्पन्न किया जा रहा है! यह सभी करण कारक के उदाहरण है!
4). सम्प्रदान कारक किसे कहते है?
सम्प्रदान का अर्थ ‘देना’ होता है! अर्थात जब किसी वाक्य में कर्ता किसी कार्य को किसी के लिए करता है या कर्ता द्वारा किसी को कुछ दिया जाये, यह सम्प्र्दान कारक कहलाता है!
सम्प्रदान कारक के विभक्ति चिन्ह ‘के वास्ते’, ‘के हेतु’, ‘के लिए’ और ‘को’ होते है!
सम्प्रदान कारक के उदाहरण
- गीता ने हमारे लिए चाय बनाई!
- वह मेरे लिए खाना लेकर आये थे!
- बच्चे भोजन के लिए रो रहे है!
- तुमने उसके लिए गाना गाया!
- राम ने अपने बेटे के लिए कार खरीदी!
- तुम यह मिठाई मेरे वास्ते लाये हो!
ऊपर बताये गए सभी उदाहरणों में कर्ता द्वारा कुछ दिए जाने और किसी और के लिए कुछ किये जाने के बारे में बताया जा रहा है! अर्थात यह सभी सम्प्र्दान कारक के उदाहरण है!
- वाक्य कितने प्रकार के होते हैं? (वाक्य की परिभाषा)
- क्रिया के कितने भेद होते हैं? क्रिया की परिभाषा?
- संज्ञा के कितने भेद होते हैं? (संज्ञा की परिभाषा)
5). आपदान कारक किसे कहते है?
जब हिंदी व्याकरण संज्ञा या सर्वनाम के किसी रूप से किन्हीं दो वस्तुओं के अलग होने का बोध होता हो, यह अपादान कारक कहलाता है!
अपादान कारक का भी विभक्ति चिन्ह ‘से’ होता है! ‘से’ का मतलब किसी चीज़ से अलग होना दिखाने के लिए प्रयुक्त होता है!
आपदान कारक के उदाहरण
- सूरज पूर्व दिशा से निकलता है!
- हमे शिक्षा अध्यापक से प्राप्त होती है!
- मकान ईंट से बनता है!
- वह गाड़ी से निचे गिर गया!
- गंगा हिमालय से निकलती है!
- तुम्हे कुत्ते से डर लगता है!
6). सम्बन्ध कारक किसे कहते है?
हिंदी व्याकरण में संज्ञा या सर्वनाम का वह रूप जो हमें किन्हीं दो वस्तुओं के बीच संबंध का बोध कराता हो, वह संबंध कारक कहलाता है!
संबंध कारक का विभक्ति चिन्ह ‘का’, ‘के’, ‘की’ इत्यादि होता है!
सम्बन्ध कारक के उदाहरण
- यह गाड़ी मोहन की है!
- यह हमारा घर है!
- तुमने राम के कपडे पहने है!
- यह सीता की बकरी है!
- सभी बच्चो के पास खिलोने है!
- तुम राम के भाई हो!
- यह सुरेश का पुत्र है!
ऊपर बताये गए सभी उदाहरणों में दो शब्दों के बीच सम्बन्ध का बोध किया जा रहा है अर्थात यह संबंध कारक के रूप है!
7). अधिकरण कारक किसे कहते है?
जब हिंदी वाक्य में लिखे हिंदी व्याकरण में संज्ञा या सर्वनाम का वह रूप जो किसी व्यक्ति या वस्तु के आधार का बोध कराये वह अधिकरण कारक कहलाता है!
वाक्य में क्रिया होने का आधार ही अधिकरण का रूप होता है!अधिकरण कारक के विभक्ति चिह्न मैं, पे, पर, के ऊपर, के बीच, के भीतर, के अन्दर इत्यादि होते है!
अधिकरण कारक के उदाहरण
- पंछी आसमान में उड़ते है!
- मैं अभी अपने कमरे में बैठा हूँ!
- तुमने अपनी घड़ी टेबल पर रखी है!
- मैं बेंच में अपना टिफिन भूल गयी हूँ!
- बाजार में आइसक्रीम मिलती है!
ऊपर बताये गए सभी उदाहरणों में की जाने वाली सभी क्रियाओ का एक आधार दिया गए है! यह सभी अधिकरण कारक के उदाहरण है!
8). सम्बोंधन कारक किसे कहते है?
हिंदी व्याकरण में संज्ञा व सर्वनाम के जिस रूप से किसी व्यक्ति या जीव को सम्बोधित किया जाये, सम्बोधन कारक कहलाता है!
सम्बोधन कारक के विभक्ति चिन्ह अरे, सुनो, अरे, ओ, हे इत्यादि होता है!
सम्बोंधन कारक के उदाहरण
- अरे! तुम घर कब आये?
- सुनो! तुम दिल्ली चले गए हो?
- अजी! सुनो कहां जा रहे हो?
- अरे! तुम यहां आओ।
- हे भगवान! वहाँ मत जाओ!
दिए गए सभी उदाहरणों में किसी को संबोधित करके कुछ बोला जा रहा है! अर्थात यह सभी सम्बोधन कारक के उदाहरण है!
निष्कर्ष – Conclusion
आज के इस हिंदी लेख में हमने नमस्कार दोस्तों, आज के इस लेख में हम हिंदी व्याकरण का प्रमुख विषय कारक किसे कहते है? Karak kise kahate hain और कारक के कितने भेद होते है? Karak ke kitne bhed hote hain के बारे में विस्तार से आपको बताया इसके साथ ही कारक से सभी भेद और उनके उदाहरण विस्तार से जाने और समझे!
उम्मीद ही आपको इस पोस्ट “karak kise kahate hain” को पढ़कर हिंदी व्याकरण के महत्वपूर्ण भाग कारक के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला होगा!
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Aapko example naye – naye dene chahiye the. Taki achhi tarah se samajh me aata.
Yogendra JI Jarur. Comment के लिऐ बहुत शुक्रिया